Friday, October 14, 2011

आज का दिन


खिड़कियो से हटा दो पुराने परदे,
टूटे शीशे पे लगे पुराने अख़बार भी निकालो,
खोल दो घर के सारे किवाड़ ,
परिंदों या छिपकलियों से बचने बंद किये,
घर के सारे छेद खोल दो आज !
कर दो किताबो को परे ,
मोबाएल कर लो साईंलेंट ,
ट्विटर और फेसबुक पर लगा दो थोडा ब्रेक ,
घर का सारा काम आज रहने दो धरा !
मान लो आज ऑफिस पे लगा है ताला बड़ा,
आज का दिन बड़ा हसीन है यारो !
आज के दिन ही लिखा जाना है इतिहास नया,
आज के दिन ही बनायीं जानी है कायनात नई,

कल क्या होगा किसे खबर है ?
पर आज के दिन तो बहोत कुछ होनेवाला है ,
सच कहू तो कल देर रात कुछ जुगनुओ के टोले को मैंने ,
कहीं दूर देश में निकले सूरज से बात करते सुना है छुपके !
और इसीलिए मै कहता हु की आज का दिन बड़ा हसीन है यारो !
सिर्फ आज के दिन ही बहोत कुछ हो सकता है !
हो सकता है की आज के दिन ही..

दूर गाँव में रोज देर से आनेवाली बस टाइम से आ जाए,
कोई धन्नू चमार का बेटा और ठाकुर राजसिंह की बेटी,
इसकशादी करने उसी बस से गाँव छोड़कर भाग जाए !
या फिर सूजी आँखोंवाली लखन लम्बू की औरत,
आज के दिन मार न खाए ,
आंसुओ के बवंडर से उभर के वो पकड ले उसकी कलाई !

हो सकता है तंग गली से रोज़ गुजरती,
आते-जाते कतराती आँखों के कोने में,
पलक ज़पकने जितनी ही सही
आज के दिन कोई ख़ुशी खिले !
या आज के दिन बाजार मै,
बरसो पहले बिछड़ा कोई पुराना दोस्त अचानक मिले !
यह हो सकता है की आज के दिन..

हो सकता है की टपरी का राजू आज एक भी गाली न सुने,
या कोई कबीर का वारिस मलमल के साथ कठोर सपना बुने !
आज देखकर बेटे की पहली कमाई किसी माँ की आँखे भर आए,
या फिर चोरी छुपे पढ़ती लड़की का स्कुल में पहला नंबर आए !
आज के दिन बहुत कुछ होनेवाला है !
बहोत कुछ हो सकता है आज के दिन !

जिसको देखेने आँखे तरसी हो,
और भूखे पेट में जाके बरसी हो,
वो फसल आज खेत से घर सही सलामत आए,
और पहली बार हो उसकी सही सही भाग-बटाई !
हो सकता है आज आप की अँखिया किसी से लड़ जाए,
और बेरंग जीवन में खुशियो के फुल खिल आए !

हो सकता है आज के दिन का सूरज कभी न ढले,
और राह चलते खड्डों के साथ...
बंजर बस्ती, भूखे बच्चे, राशन की कतारे,
दंगा-फसाद, छुआछुत, जिस्म हत्याए,
और उसी रस्ते के मोड़ पे होता जिस्मो का सौदा
आज जेहन में खले !

जिसकी तोंद हमारे खून से बनी है ,
एसे करोड़ीमल के घर आज इनकम टेक्स की रेड हो जाए !
या फिर कचहरी का बाबु घुस लेते पकड़ा जाए !
हमको हिस्सों में बाँट के अपनी जित पक्की करनेवाला,
कोई निक्कमा नेता आज अपनी डिपोजिट भी बचा न पाए !

क्या क्या हो सकता है कैसे गिनाऊ मै ?
कल देर रात कुछ जुगनुओ के टोले को मैंने ,
दूर देश में निकले सूरज से बात करते सुना है छुपके !
और इसीलिए मै कहता हु आज का दिन बड़ा हसीन है यारो !
सिर्फ आज के दिन ही बहोत कुछ हो सकता है !
आज का दिन बड़ा हसीन है यारो,
आज के दिन को गले लगा लो !

मेहुल मकवाना , १४ ओक्टोबर २०११, अहमदाबाद

3 comments :

  1. kaash aaj k din iss baat ko log padh le aur samaj le
    aaj ke din bhi bahot kuchh ho sakta hai
    agar sab sath rahe, saaf rahe dil se mann se.

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