Monday, August 9, 2010

न होगा अल्लाह तेरे संग, मेरे साथ राम न होगा



यु तो पहले भी इस दौर से गुजर चूका हु मै,
डर है की अबके कोई नया मकाम न होगा !

खूब जशन मनाएंगे इक दूजे को गले लगा के,
न होगा अल्लाह तेरे संग, मेरे साथ राम न होगा !

उम्र हुयी उनके लबो से अपना नाम सुने यारो,
इस जहाँ में और कोई मुजसा न बदनाम होगा !

उम्र ढली पर सीख न पाए कोई हुन्नर जीने का,
शायद इस जहाँ में अब अपना कोई दाम न होगा !

-मेहुल मकवाना , अहमदाबाद, ८ अगस्त २०१०

3 comments :

  1. खूब जशन मनाएंगे इक दूजे को गले लगा के,
    न होगा अल्लाह तेरे संग, मेरे साथ राम न होगा !

    Nice one Mehul! Liked it!

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  2. Hi Mehulbhai, nice poem.
    उम्र हुयी उनके लबो से अपना नाम सुने यारो,
    इस जहाँ में और कोई मुजसा न बदनाम होगा !

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