Saturday, January 12, 2013

युद्ध होगा



युद्ध होगा 
आज नहीं तो कल, 
कल नहीं तो परसों,  
परसों नहीं तो नरसो,
युद्ध होगा !

जब दोनों और से जनता की बेंड बजेगी ! 
तब जाकर सरहद पर सेकड़ो टेंक सजेगी !
फिर रोटी कपडा मकान भूलकर,  
सब पर सवार देश का भूत होगा !
युद्ध होगा !

शांति वार्ताए जब जब आगे बढती दिखेगी ! 
खू से खौलती नसे जब ढीली पड़ती दिखेगी ! 
क्यूँ है हाल हमारा ऐसा ?
उसका कही न कोई सुबूत होगा !
युद्ध होगा !

वो जब सोचेंगे तब होगा !
वो जब चाहेंगे तब होगा !
आज नहीं तो कल 
कल नहीं तो परसों 
परसों नहीं तो नरसों !
तुम चाहो या ना चाहो 
युद्ध जरुर होगा !

फिर बहते खून की खुश्बुओ का लगेगा उत्सव ! 
फिर लाशें जवानो की बन जायेगी बेलेट पेपर !
न कानो-कान खबर होगी किसीको, 
ना ही किसीको कुछ शक होगा !
युद्ध जरुर होगा !

- मेहुल मकवाना, 12 जनवरी 2013, अहमदबाद 

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