युद्ध होगा
आज नहीं तो कल,
कल नहीं तो परसों,
परसों नहीं तो नरसो,
युद्ध होगा !
जब दोनों और से जनता की बेंड बजेगी !
तब जाकर सरहद पर सेकड़ो टेंक सजेगी !
फिर रोटी कपडा मकान भूलकर,
सब पर सवार देश का भूत होगा !
युद्ध होगा !
शांति वार्ताए जब जब आगे बढती दिखेगी !
खू से खौलती नसे जब ढीली पड़ती दिखेगी !
क्यूँ है हाल हमारा ऐसा ?
उसका कही न कोई सुबूत होगा !
उसका कही न कोई सुबूत होगा !
युद्ध होगा !
वो जब सोचेंगे तब होगा !
वो जब चाहेंगे तब होगा !
आज नहीं तो कल
कल नहीं तो परसों
परसों नहीं तो नरसों !
तुम चाहो या ना चाहो
युद्ध जरुर होगा !
फिर बहते खून की खुश्बुओ का लगेगा उत्सव !
फिर लाशें जवानो की बन जायेगी बेलेट पेपर !
न कानो-कान खबर होगी किसीको,
ना ही किसीको कुछ शक होगा !
युद्ध जरुर होगा !
- मेहुल मकवाना, 12 जनवरी 2013, अहमदबाद
uss subah ki khatir...
ReplyDeleteઅચ્છા હૈ....
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