Saturday, September 4, 2010

Kal tak vo aadmi jinda misal tha


आज सस्ती शराब थी नशा कमाल था,
होश आने पर भी तेरा ख्याल था !

मईयत पे उसको कान्धा नसीब हुआ नहीं ,
कल तक वो आदमी जिन्दा मिसाल था !

वो आये आँगन तक और वापस मुड गए,
कुछ ऐसा तब मेरे घर का हाल था !

कई सन्नाटे ने घेर लिया था राह चलते,
सच कहू कल शहर में कुछ तो उबाल था !

सिर्फ एक बात पे मेरा रंग फीका पड़ गया,
उनकी गली में कल ज्यादा गुलाल था !
21 august , 2010, ahmedaabd

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