Thursday, June 5, 2014

द्रौपदी १ : मेरे पांच पति


माता कुंता जानती थी सत्य 
पता था की गर मिल बाँट के खाने को न कहा गया 
तो मुझे पाने के लिए पांचो एकदूजे से भीड़ जाएंगे यकीकन 
आखिरकार में उस दौर की सबसे सुंदर स्त्री जो थी !
वो जानती थी 
न जाने कितने समय से राजा-महाराजा-योद्धा 
कल्पनाओ में मुझसे संभोग करने लगे थे !
मेरी एक झलक को तकने लगे थे !
उन्हें पता था मेरे स्वयंवर में उमड़े वीर्य सैलाब का 
पांडव-कौरव तो क्या प्रत्येक पुरुष बेताब था मुझे भोगने को
संसार के सबसे बड़े खजाने का मालिक बनने को ! 
वरना पानी में देख सर पर घूमती मछली की आँख फोड़ना, 
कभी सोची भी है ऐसी कठोर परीक्षा किसी ने ?
अर्जुन तो क्या गुरु द्रोण भी यह न कर पाते !
कुंता जानती थी सत्य 
गर मिल बाँट के खाने को न कहा गया तो 
मेरे लिए पांचो के बीच फिर से एक स्वयंवर होगा 
और फिर वे पांच से चार-तीन-दो-एक हो जायेंगे ! 
वैसे होना तो यही सही था पर कुंता से एक अलग सत्य 
बतौर पुरुष महाधूर्त युधिस्ठिर से नम्र नकुल तक सभी जानते थे !
पता था की भीम की मदद के बिना वो धनुष नहीं उठा पायेगा !
होनहार जुआरी युधिस्ठिर के बिना 
जल की और मछली की गति की चाल परख कैसे होगी ?
आनेवाले समय को देखने वाले सहदेव के सहयोग के बिना 
क्या कुछ मुमकिन हो सकेगा ? 
एक नम्र नकुल था जिसके होने न होने से कुछ फर्क नहीं होता पर 
चार से भले पांच ! या फिर छ ?
कुंता की आज्ञा से पहले ही उनके पुरुष सत्य ने तय कर लिए थे हिस्से !
किसी एक के हाथ तो नहीं आएगी
आओ पांचो मिलकर खा ले,
हो सके तो बाँटकर वरना तोड़मरोड़ कर !
किसके साथ कितनी राते, किसके साथ कितने दिन 
सारे समय का हो चूका था गठजोड़ पहले ही !
कौन पहले कौन बाद में तय थे सारे क्रम के मोड़ !
यह विवशता थी लेकिन आखिर संसार की सबसे सुन्दर स्त्री के लिए 
इतना समाधान तो जायज था उन्हें ! 
फिर अपने षड्यंत्रकारी सत्य को बहोत आसानी से छुपा लिया उन्होंने 
" देखो माँ में क्या लाया हु ? " अर्जुन ने कहा 
" जो लाए अपने भाइओ से मिलकर खाना " कह दिया माता कुंता ने !
हा हा हा हा हा हा हा !!
अपने षड्यंत्र के सत्य को नजाकत से मोड़कर 
थोप दिया माता कुंता के होठ पर !
उनकी आग को मिल गई हवा 
अब दोष सारा हो गया हवा का  
और आग बन गई पूर्ण निर्दोष !
आखिर खाना ही तो थी मै उनके लिए शुरू से ! 
अर्जुन बनकर रह गए मातृ आज्ञा की प्रतिज्ञा 
कृष्ण ने भी कह दिया इसे पूर्वजन्म के कर्म की शिक्षा !
माता कुंता जानती थी सत्य,
पांचो पांडव जानते थे सत्य,
कृष्ण भी जानते थे सत्य !
और में ?
मेरा सत्य ?

- मेहुल मंगुबहन, ०२ / ०६ / २०१४ अहमदाबाद 

1 comment :

  1. पूर्ण करो -- फिर ठीक से समझेंगे. कला किस्तों में कैसे पल्ले पड़ेगी ?

    ReplyDelete