खंजर तो बस एक ही था पर सब ने नजर से वार किया !
एक खोली में आठ जान और छत जेसे की टुटा छाता,
हँसते हँसते फिर भी सबने बारिश से कितना प्यार किया !
सच कहू तो, जब तूफान आया में इक सपने में खोया था,
पता नहीं की इस कश्ती ने, केसे इतना दरिया पार किया!
-अहमदाबाद, ९ अगस्त २०१०
Nice one! Touchy and saying many things in brief! Liked it!
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