Saturday, September 4, 2010

Kuch log

कुछ लोग वक़त के मारे थे कुछ को लोगो ने मार दिया !
खंजर तो बस एक ही था पर सब ने नजर से वार किया !

एक खोली में आठ जान और छत जेसे की टुटा छाता,
हँसते हँसते फिर भी सबने बारिश से कितना प्यार किया !

सच कहू तो, जब तूफान आया में इक सपने में खोया था,
पता नहीं की इस कश्ती ने, केसे इतना दरिया पार किया!

-अहमदाबाद, ९ अगस्त २०१०

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