Tuesday, October 11, 2011

न्याय के पक्ष में हु लेकिन मै पूरा तुम्हारे साथ नहीं हु !



(संजीव भट्ट की गिरफ़्तारी को लेकर...)

हमदर्दी तो है तुमसे पर पूरा यकीन होना बाकी है !
कई सवाल है एसे जिनके जवाब ढूँढना बाकी है !

सवाल है की क्यों कानो को देर लगी चींखे सुनने में ?
सवाल है की क्यों जुब़ा को देर लगी सच कहने में ?
सवाल है की तब तुम क्यों ना आए जब हम चीख चीख कर रोते थे ?
कतरा कतरा जीते थे दिनभर और कतरा कतरा रात को सोते थे !

दोस्तों से भी उन दिनों हम कुछ भी बोल ना पाते थे !
थी शर्म से आँखे इतनी गीली की सर भी उठा न पाते थे !
हम तो नजरो के इस भार को एक पल भी जैल ना पाए थे,
हाथ आया सो मरहम लेकर घर से निकल हम आए थे !
सवाल है की नौ साल तक केसे जैला इतना सच तुमने ?

क्यों तब भी तुमने चुप्पी रखी जब श्रीकुमारजी सच बोले थे ?
उनसे भी हिम्मत जुटा न पाए क्या तुम इतने भोले थे ?
हो सकता है सच कहते हो तुम और मानता हु सच ही कहते हो !
पर सच्चाई की लड़ाई में पलक ज़पकना भी देरी होती है !
हम खुद अकेले होते है सारी दुनिया बैरी होती है !

इतिहास का बोध हम सब पर लागु बराबर आता है !
वर्तमान के कर्मो से कोई भूतकाल नहीं धों पाता है !
जैसे कुरुक्षेत्र जितने पर भी पांडव विजय मना ना पाए थे !
हस्तिनापुर के सर पर तभ भी चीरहरण के साये थे !
तुम तो पांडव-कौरव से परे थे फिर चुपचाप देखा चीरहरण क्यों ?
क्यों राजसभा से उठकर तुम सीधे लोगो के पास ना आये ?
इतना बड़ा सच कहने में आखिर इतनी देर तुम क्यों लगाये ?

चाहे मुकदमा कोई भी हो यह सजा पलक ज़पकने की है !
वक़त आने पर अपनी वर्दी की राह से भटकने की है !
जब खुद ही राह से भटके थे तो प्रायश्चित तुमको करना होगा !
हवालात के हिमालय में तुम्हे खुद्द को थोडा तो गलना होगा !

तुम हो चाहे मोदी हो न्याय के प्राचल नहीं बदल सकता हु मै,
इसीलिए हमदर्दी के अलावा और कुछ नहीं दे सकता हु मै !

जब जेल की काली राते तुम में नया उजाला भर देगी !
जब न्याय की देवी सच-जूठ का न्याय सही से कर देगी !
या फिर तुमको औरो की तरह अन्यायों से भर देगी !
तब ही कर पाउँगा यकीन तुम पर !
तब मै तुम्हारे पास आऊंगा !
तब मै तुमको गले लगाऊंगा !
तब तक ,
न्याय के पक्ष में हु लेकिन मै पूरा तुम्हारे साथ नहीं हु !

- मेहुल मकवाना , ११ ओक्टोबर २०११, अहमदाबाद




4 comments :

  1. शानदार कविता. इस वक्‍त गुजरात में ऐसी आवाजों को और बुलंद किया जाना चाहिए. बधाई मेहुल भाई.

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